Ravela एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था उसके पिता खेतों में मजदूरी का काम करते थे उस काम से जो भी मजदूरी मिलती उससे उन तीन प्राणियों का पेट बड़ी मुश्किल से भरता था | रवेला अभी 8 साल का बच्चा ही था कि उसके गांव में हैजा फ़ैल गाया |गाँव में इलाज की तो उचित व्यवस्था थी नही इसलिए धड़ाधड़ मौतें होने लगी|
इसी महामारी में Ravela के माता-पिता दोनों हैजा की चपेट में आ गए दोनों के चले जाने पर रवेला तो एकदम अनाथ हो गया कुछ दिन तो पड़ोसियों ने कभी एक समय कभी दो समय का खाना खिलाया पर सब कितने दिन चलता रवेला का गांव गंगा से थोड़ी ही दूर था लोग गंगा से ही पानी लाकर घरों का काम चलाते थे पड़ोसियों ने रवेला को एक छोटा सा घड़ा दे दिया और कहा यदि तुम गंगा से हर रोज कुछ घड़े पानी ले आया करोगे तो तुम्हें फिर रोटी की चिंता नहीं रहेगी|
बहुत से घरों में स्त्रियां ही यह काम करती थी | उन्हें सुबह-शाम रसोई घर के कामों से ही फुर्सत नहीं मिलती थी इसलिए बहुत सी स्त्रियां रवेला से आगरह करती भय्या दो घड़े पानी ला दो फिर गरमा गरम फूलके खिला दूंगी| Ravela भाग कर पानी ले आता उसे तो जैसे खेल सा मिल गया था| हाँ जिस दिन ज्यादा घड़े पानी भरना पड़ जाता उस दिन उसकी साँस फूलने लगती है | तब वह थककर किसी पेड की छाया में सो जाता|
अपने घर में तो बस रात में ही घुसता था सोने के लिए| दिन भर भाग भाग कर लोगों के खासकर स्त्रियों के बताये काम करता रहता | वह सभी का दुलारा हो गया था | इसलिए वक्त बड़े मजे से कट रहा था एक बार Ravela घड़ा भरकर गांव की ओर जा रहा था उसे रास्ते में चम चम चमकता एक नया चांदी का रुपया दिखाई पड़ा वह आधा रेत में दबा था आधा बाहर चमक रहा था| रवेला ने देखा की आस पास कोई नहीं है उसने बड़ी सावधानी से पैर के पंजे से वह रुपया उठाया और अपनी जेब में रख लिया मन ही मन वह इतना खुश हो रहा था मानो कोई बड़ा खजाना मिल गया हो |
आजतक किसी ने उसे पानी भरने के बदले पैसे तो दिए ही नही थे कोई उसे रोटी खिला देता था कोई उसे अपने खेत से अये गन्ने दे देता था, कोई हरे हरे चने खाने को दे देता था किसी को ज्यादा तरस आया तो उसके नाप का अपने बच्चो का पुराना कुर्ता पैजामा दे देता| बस इसी तरह उसका जीवन चल रहा था आज पहली बार उसे चांदी का रुपया मिला था शाम के समय में गांव के बाहर बने एक किले के खंडहर में गया वहां एक जगह ईटें उखड़ी देखकर उसने वही रुपया छुपा कर रख दिया ताकि वक्त आने पर निकाल सके इस खंडहर में कोई आता जाता नहीं था |
लोग सोचते थे कि यहां भूत बसते हैं पर भला Ravela को किस भुत का डर उसकी चुस्ती फुर्ती और निडरता देखकर लोग कहते थे कि रवेला से तो भुत भी डरते है |रवेला कभी कबार फुर्सत मिलने पर उस खंडहर में जा कर अपना चांदी का सिक्का देखा आता था वह वंही सुरक्षित रखा रहता था उसे देख रवेला को अपार खुशी होती और उस के सपनों को पंख लग जाते हैं वह सोचता कि कभी उसकी भी खुशहाल जिंदगी होगी|
ऐसे ही कुछ और साल बीत गए रवेला अब 18 साल का अच्छा सा युवक हो गया था| पास पड़ोस की स्त्रियाँ जिन्हें वह भाभी कहता था उसे ठिठोली करती रवेला अब तो ब्याह कर ले कब तक ऐसे अकेले घूमता रहेगा अगर तू कहे तो मैं कल ही तेरी बात चलाऊं ऐसी बातें सुनकर रवेला शर्मा कर तेजी से चला जाता काम वह अभी ज्यादातर पानी भरने का ही करता था हाँ कभी कबार फसल कटाई का काम भी कर लेता था पर वह काम तो 15, 20 दिन तक ही चलता था| इसलिए वह पानी भरने का काम छोड़ता नहीं था|
एक बार पड़ोस में रहने वाले उपाली काका ने रात के समय उसे बुलाया उन्होंने बातों-बातों में उसे बताया कि पड़ोस के गांव में उनके साले की लड़की बड़ी सुशील और घर के कामों में निपुण हैं अगर Ravela हां कहे तो वह उसका रिश्ता पक्का करवा सकते हैं रवेला बहुत संकोची था वह कैसे कहता कि हां मेरा विवाह करवा दो वह नीचे मुंह किये हुवे मंद मंद मुस्कुराता रहा | उपाली काका समझ गए किरवेला की तरफ से हाँ है | अगले ही महीने उपाली काका जब अपने पड़ोसी गांव में साले के घर गए तो उसकी बेटी सुनीति की बात पक्की कर आएं साथ ही यह भी तय हो गया कि सर्दियों के शुरू में धान की फसल आने के बाद सुनीति का ब्याहरवेला के साथ कर दिया जाएगा| उपाली काका जब साले के घर से लौटे तो उन्होंने रवेला को सारी बात बता दी|
Ravela मन ही मन बहुत खुश हुआ पर साथ ही उसे बहुत चिंता होने लगी की उसके पास तो कुछ भी नहीं है कहां से नये कपड़े से सीलेंगे कहां से दुल्हन के लिए साड़ी खरीदी जाएगी यह सारी चिंताएं पहली बार उसके दिमाग में घूमड घूमड कर रही थी | अगले ही दिन उपाली काका के कारण अड़ोसी पड़ोसी सभी को इस बात की खबर हो गई कि रवेला का ब्याह होने वाला है लोगों के चेहरे पर यह सुनकर एक खास तरह की मुस्कान आ जाती|
इसका मतलब होता कि खुद का तो ठिकाना नहीं है Ravela का ऊपर से दुल्हन को क्या खिलायेगा क्या पहनायेगा पर जिन जिन लोगों के घर रवेला पानी भर के लता था |वे सब स्त्रियां बहुत उत्साहित हो गई उन्हे ये सोच कर खुशी हो रही थी कि चलो अब तो रवेला का घर बस जाएगा उसे भी कोई गरम रोटी खिलाने वाली आ जाएगी उसके सूने आंगन में भी बाल गोपाल खेलेंगे इन दिनों ये सारी स्त्रियों की बातों का एक मुद्दा होता रवेला का ब्याह |
वे अपनी पूरी कोशिश में जुट गई कि Ravela के मां बाप नहीं है तो क्या हम करेंगे उसके सारे नेग कितने वर्षों से वो हमारी सेवा करता आ रहा है सभी स्त्रियां जुट गई ब्याह की तैयारीयों में| कुछ दुल्हन के कपड़े तैयार करने में जुट गई और कुछ रवेला के कुछ ने मिलकर रवेला के घर में चुने पुताई का सारा इंतेजाम कर दिया किसी ने उसके चौके को सवार दिया आजकल रवेला हर समय मुस्कुराता रहता था उसके लिए ये अनुभव एकदम अनोखा था |
अभी तक तो वो लोगों की सेवा करता आया था अब लोग उसके घर गिरस्ती बसाने में लगे थे | अगले ही महीने तो रवेला की शादी होनी थी करते-करते वह दिन भी आ गाया | गांव के बड़े बुजुर्ग रवेला के अभिभावक है सभी धूमधाम से बारात में सज कर चलें | Ravela के ससुर तथागत ने पूरी बारात का बहुत अच्छे से खातिर दरी की 2 दिन तक खूब शगल मेंला रहा तीसरे दिन सुबह ही डोली उठी और दोपहर तक रवेला और बाराती दुल्हन को लेकर अपने गांव पहुंच गए पड़ोस की स्त्रियों ने बड़े प्यार से दुल्हन को डोली से उतारा और उसके सर पर जल भरा लोटा रखकर रवेला के घर ले आयी|
Ravela का घर स्त्रियों और युवतियों से ठसाठस भर गाया हर कोई रवेला की दुल्हन का मुंह देखना चाहता था | आखिर अंधेरा होने तक मुह दिखाई का कार्यक्रम चला स्त्रियों ने दुल्हन को मनचाहा नेग और उपहार दिया ऐसी सुंदर दुल्हन को पाकर रवेला भी निहाल हो गया ऐसे सुख की तो उसने कल्पना ही नहीं की थी| उसे तो सपने में भी नहीं लगता था कि कभी उसका भी घर बस जाएगा दो दिन तक रवेला काम पर नहीं गया पर किसी ने उसे टोका भी नहीं | हाँ तीसरे दिन एकदम सुबह ही अपना पानी भरने के काम पर निकल गया अब उसे किसी के घर रोटी खाने की जरूरत नहीं रह गई थी |
उसकी दुल्हन उसके सामने बैठकर बड़े प्यार से गरम गरम खाना परोसती रवेला के दिन बड़े आराम से कट रहे थे| एक दिन उसे याद आया अपना वो चांदी का सिक्का जिसे उसने खंडहर में छुपा के रखा था दुल्हन को नेग में मिले पैसे भी खत्म हो रहा है थे Ravela ने सोचा अगर मैं अपना वो चांदी का सिक्का ले जाऊं तो मेरी काफी दिन मजे में निकाल सकते हैं| उससे मैं दुल्हन को नया जोड़ा कपड़े भी खरीद कर दे सकता हूं और कहीं घुमाने भी ले जा सकता हूं यही सोचकर रवेला तेज कदमों से खंडहर की ओर चल दिया |
चिल चिलाती धुप पड़ रही थी सूरज सिर पर चमक रहा था पर रवेला को गर्मी का एहसास नहीं था वह तो मन ही मन खुश हो रहा था कि व चांदी का रुपया उसे अच्छे वक़्त याद आ गाया | खुशी ने उसके पैरों में गति और तेज कर दी | Ravela तेज कदमों से खंडहर की ओर बढ़ा जा रहा था वहां से कुछ दूरी पर ही राजा अजात सत्रु का महल था | उस समय राजा अपनी बारहदरी में खड़े कुछ सोच रहे थे उसी समय उसे चिलचिलाती धूप में एक युवक तेजी से जाता दिखाई दिया राजा को बड़ी उत्सुकता हुई की ये कौन है और इसे ऐसा क्या जरूरी काम पड़ गया जो ये कड़ी धूप में भी इतनी तेजी से दौड़ा चला जा रहा है कुछ सोचकर राजा अजात सत्रु ने फ़ौरन अपने 2 सैनिकों को युवक को बुलाकर लाने का आदेश दिया रवेला इतनी तेजी में था की बड़ी मुशकिल से उन दोनों के साथ राजा अजात सत्रु के सामने आया राजा ने रवेला से जानना चाहा कि रवेला इतनी कड़ी धूप वो इस कदर तेजी से कहाँ जा रहा था|
पहले तो Ravela ने यह सोचकर टालना चाहा कि भला वह खंडहर में जाकर 1 रुपया का सिक्का लाने की बात राजा को कैसे बताएं पर जब राजा ने बार-बार जिज्ञासा प्रकट की तो उसे बताना पड़ा राजा अजात सत्रु को बड़ी हैरानी हुई |की इस युवक के लिए चांदी का वह सिक्का इतना कीमती है की इतनी सख्त धूप में भी तेजी से भागता चला जा रहा है उन्होंने हंसकर कहा सुनो रवेला अगर तुम अपना चांदी का सिक्का लेने जाने का विचार छोड़ दो तो मैं बदले मैं तुम्हें 10 चांदी के सिक्के दे सकता हूं पर रवेला ने साफ इंकार कर दिया वह चांदी का सिक्का तो उसके लिए किसी सपने जैसा था |
उसकी जिंदगी भर की कुल जमा पूंजी तो वही थी भला वह उसे कैसे छोड़ दे |आखिर राजा ने रवेला को और ज्यादा धन देने की बात कही 10 के बाद बढ़कर रुपयों की संख्या 20, 50, 100,1000 10,000 से बढ़ते बढ़ते आखिर पूरी एक लाख हो चुकी थी राजा अजात सत्रु का कहना था कि अगर रवेला अपना चांदी का सिक्का लाने का विचार छोड़ दें तो वह उसे पूरे 100000 (एक लाख) रूपए देने को तैयार थे |दरबारी उत्सुकता से देख रहे थे| की देखें अब रवेला का क्या जवाब है | पर रवेला का साफ साफ कहना था कि वह उस चांदी के सिक्के के बदले एक लाख रूपए लेने के लिए भी तैयार नहीं है|
सुनकर दरबार में सभी भोचाक्के रह गए | खुद राजा अजात सत्रु की अजीब हालात थी उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि भला उस एक रुपए के सिक्के में ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं जिसके कारण Ravela राजा से मिलने वाले पूरे 100000 (एक लाख ) रूपए को भी ठुकरा रहा है इतना ही नहीं रवेला ने साफ-साफ कह दिया कि उसके लिए अब और रुक पाना संभव नहीं है |वह बरसों पहले खंडहर में छुपाया गया अपना चांदी का रुपया लेने जा रहा था राजा अजात सत्रु को यह बात अपनी हार जैसी लगी आखिर कुछ सोचकर उन्होंने रवेला से कहा कि वे उसे आधा राज्य दे देंगे पर शर्त है कि वह उस रुपए की बात भूल जाए रवेला को लगा कि आधा राज्य मिलने का मतलब तो यह है की वह आधा राजा बन जायेगा | फिर तो उसकी गरीबी और सारी परेशानियां भी खत्म हो जाएंगी|यह सोचकर की उल्टा वह दूसरों की मदद भी कर पायेगा जिससे किसी का कोई दुख या परेशानी ना हो रवेला ने तुरंत हां कर दी|
खुश हो कर राजा ने रवेला से अगले ही दिन अपनी पत्नी को भी ले आने को और राजा रानी की तरह रहने का आदेश दिया इसके लिए राजा ने रवेला को पर्याप्त धन भी दिया अगले ही दिन रवेला पत्नी को लेकर महल में आ गया उसकी पत्नी सुनीति भी खुशी से फूली नहीं समा रही थी सुंदर तो वह थी ही रानी जैसे कपड़े पहन कर तो वह और भी सुंदर लग रही थी रवेला भी राजसी वस्त्र पहनकर एकदम राजकुमारों जैसा लगा था |
राजा ने अपना दूसरा महल उन्हें रहने के लिए दे दिया अगले दिन राजा का दरबार सजा था रवेला के गांव के लोग भी ये अनोखा दृश्य देखने आए थे वे उत्सुकता से उस घडी का इंतेजार कर रहे थे जब राजा भरी सभा में रवेला को आधा राज्य सोंपने की विधिवत घोषणा करने वाले थे | ठीक समय पर राज दरबार में प्रवेश किया और सिंहासन पर बैठ गए थोड़ी देर बाद ही राजा की आज्ञा पाकर महामंत्री ने राजा का संदेश सुनाया आज से महाराज की आज्ञा से रवेला को आधा राज्य दिया जाता है हां यह रवेला की इच्छा पर निर्भर होगा कि वह कौन सा भाग लेना चाहेंगे उत्तर का या दक्षिण का|
रवेला स्वयं यहां आकर पूरी जनता के सामने घोषणा करें कि वह कौन सा भाग लेना चाहेंगे उसी समय रवेला मंच पर गाया और उसने घोषणा की महाराज मै उत्तर का भाग लेना चाहता हूं क्योंकि उसी भाग में वह खंडहर है जिसमे मेरा चांदी का सिक्का रखा है यह सुनते ही सबके चेहरे पर बड़ी बंकिम मुस्कान आ गई राजा अजात सत्रु भी ठठा कर हँसे बोले मान गए भाई रवेला तुम जीते मै हरा तुमने आखिर तक अपनी जिद नहीं छोड़ी सुनकर रवेला भी मंद मंद मुस्कुराने लगा | और दोस्तों इसी के साथ समाप्त होती है हमारी आज की कहानी जिसका टाइटल था रवेला के चांदी के एक सिक्के में आधा राज्य |